हिन्दीमेँ एक मुक्तक यहाँ पे ऐसे-
मै सौख से नहीँ मजबुरी से पीता हुँ ॥
मत पुछो, तुम्हारे बगैर कैसे जीता हुँ ॥
तुम्ने तो छोडदिए टुकड़े-टुकड़े करके दिलको
अकेले मैँ ईधर, वो टूटाफुटा दिल सिता हुँ ॥
copyright @ निरक्षर
मै सौख से नहीँ मजबुरी से पीता हुँ ॥
मत पुछो, तुम्हारे बगैर कैसे जीता हुँ ॥
तुम्ने तो छोडदिए टुकड़े-टुकड़े करके दिलको
अकेले मैँ ईधर, वो टूटाफुटा दिल सिता हुँ ॥
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